A February poem: A day after we shall meet

आज उनसे बात हुई
कल मुलाक़ात भी होगी
आज न जाने कैसे बात हुई
हैरान हम खो गए
सिनेमा में जैसे बीती यादें दिखाते हैं ,
वैसे ही कुछ मेरे आँख के सामने से
गुजर गयी
भूल गए कि तुमसे खफ़ा हैं
नादानी में तुमसे बात हुई
इरादा तो बात करने का भी न था
पर हम मुलाक़ात की हामी भर बैठे
आज वो मैसेज आपने किया
उसे पढ़कर बार बार
आँख नम है... 

कोसते हैं खुद को,
ये सोचकर, हाय, कितनी 
यादें हम मिलकर बना सकते थे,
कितनी बातें जो रह गयी, वादा है,
आज सब कर बैठेंगे तुमसे,
क्यूंकि आज उनका मैसेज आया है 
और कल हम मिलेंगे। 
न जाने क्या कहेंगे 
और क्या छुपायेंगे 
ये सोच कर कि 
कल है तुमसे मिलना,
न जाने आज जी पाएंगे या नहीं। 


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